चुनाव में जब यह बताया जाता है कि 60-70%मतदान होता है, तो कई सवाल सामने आते हैं-30-40» मतदाताओं ने मतदान क्यों नहीं किया? मतदान का कम होना यह बताता है कि लोगों की आस्था लोकतंत्रा में कम हैऋ चूंकि यह एक तिहाई लोग होते हैं, यह संख्या महत्वपूर्ण है। मतदान का कमी यह भी बताता हैकि लोगों का सत्ता पक्ष और विपक्ष पर भरोसा नहीं है। लोगों के नाराजगी को व्यक्त करने के लिए चुनाव आयोग ने नोटा का विकल्प दिया इसके बावजूद भी शत-प्रतिशत मतदान का लक्ष्य नहीं मिला। चुनाव आयोग शत-प्रतिशत मतदान हेतू मतदान जागरूकता अभियान चलाकर भी अपने प्रयास को अजमाया परंतु परिणाम पर कोई विशेष असर नहीं पड़ा। सुविधयुक्त मतदान केन्द्र भी बनया पिफर भी नतीजा नहीं मिला।
मतदान प्रतिशत कम क्यों होता है- इसका कारण स्पष्ट तब समझ में आया जब मैं प्रमण्डलीय वैश्य महापंचायत, मुंगेर की वार्ड इकाई गठन हेतु प्रत्येक वैश्य मतदाता की जानकारी के लिए, मुंगेर नगर-निगम वार्ड नं 26 के तीन बूथ का वोटर लिस्ट ;मतदाता सूचीद्ध का अध्ययन शुरू किया तो पाया कि
(1) वर्षो पूर्व जो लोग मर चुके हैं, उनका नाम वोटर लिस्ट में चला आ रहा है।
(2) वर्षो पूर्व जिस बेटियों की शादी हो चुकी है, उसका नाम वोटर लिस्ट में मौजूद है।
(3द्ध जो लोग वर्षो पूर्व अपना जमीन-जायदाद बेचकर चले गये
हैं, उनका नाम मौजूद है।
(4) जो लोग अन्यान्य क्षेत्रा के यहां जमीन जायदाद खरीद लिए हंै, वे यहां भी मतदाता सूची में नाम दर्ज करा लिया है, वह अन्यत्रा भी मतदाता बने हैं।
(5) जो लोग यहां किराये के दूकान में अपना व्यवसाय करते हैं, उनका नाम भी मतदाता सूची में शामिल है।
(6) एक ही व्यक्ति का नाम एक ही बूथ पर दो बार दर्ज है
(7) एक ही व्यक्ति का नाम अलग-अलग बूथ पर दर्ज है।
(8) एक परिवार के सदस्यों का नाम एक ही बूथ पर जहां-तहां दर्ज है। पता करने में माथा दर्द हो जाता है।
(9) दूसरे वार्ड के मतदाताओं का नाम इस वार्ड में दर्ज है।
(10) परिवार के सदस्य जो अन्यत्रा बस गये हैं वर्षों से आना-जाना नहीं है, वे जहां बसे हैं, वहां के मतदाता बने हैं या नहीं यह कहना संदिग्ध् है।
जब गंभीरतापूर्वक जांच की जाएगी तो निश्चय है कि नाम कटेंगे।
दुर्भाग्य यह है कि प्रत्येक पांच वर्षो में तीन बार मतदाता सूची का प्रकाशन होता है, लोकसभा चुनाव में, विधनसभा चुनाव में और स्थानीय निकाय के चुनाव में। चुनाव आयोग कभी गंभीरता से इस काम को नहीं लिया, पफलतः वर्षों-वर्ष का कोढ़ बढता गया है। इस सपफाई अभियान में बड़ी संख्या में नाम कटेंगे।
रही बात विदेशी घुसपैठिए की चुनाव आयोग 1952 ई. से चुनाव करा रही है। जिस परदादा का नाम हम भूल चुके हैं, चुनाव आयोग के पास उसका नाम है। चुनाव आयेग वंशावली बना सकती है, इस वंशावली के आधर पर अपने नागरिक को ढूंढ़ सकती है और अवैध् लोगों को मतदाता सूची से बाहर कर सकती है।
इंटरनेट का जमाना है, जो लोग स्थान परिवर्तन कर चुके हैं, मूल स्थान पर उनके पूर्वज का नाम होगा ही। उसे जानकारी कर सकते हैं।
वर्तमान मतदाता सूची से तलाश शुरू करे। इस सूची में मेरे पुत्रा का नाम है, पिता के रूप में मेरा नाम है, मेरे नाम के साथ मेरे पिता का नाम है, मेरे पिता भी मतदाता है अतएव उनकिे स्वर्गीय पिता का नाम हैऋ इसी क्रम में पीछे लौटा जाएगा तो मेरे दादा जी के नाम के साथ उनके पिता जी का नाम होगा, अर्थात् मरे परदादा का।
वर्तमान का सूत्रा बनाकर पीछे लौटने पर नाम मिलता जाएगा जो यहां के मूल नागरिक है उनका छोर मिल जाएगा और जो नागरिक नहीं है घुसपैठिए हैं उनकी कड़ी टूट जाएंगी और स्पष्ट हो जाएगा कि उनका घूसपैठ कब हुआ है, यदि उन्होंने विध्वित नागरिकता ली है, तो प्रमाण भी मिलेगा और गलत तरीकों से आधर कार्ड, राशन कार्ड बनाया है तो वह भी स्पष्ट हो जाएंगा।
चुनाव आयोग जब मतदाता सूची में संशोध्न हों तो देश का मुख्य चुनाव अध्किारी और उप मुख्य चुनाव अध्किारी देश के किसी प्रांत के किसी एक बूथ का व्यक्तिगत सत्यापन करे, माताताआं से सक्षात्कार हो, एक-एक मतदाता से मिले। किसी बूथ पर 1000 मतदाता हहेता है। जो भी समय लगे, उन्हे जमीनी हकीकत का पता चलेगाा। इससे प्राप्त अनुभव बड़े काम की साबित होगी। प्रदेश का चुनाव आयुक्त किसी एक जिला का बूथ चुनकर खुद जाुच करें। जिला का चुनाव
पदाध्किारी जिला में, अनुमंडल का चुनाव पदाध्किारी अनुमंडल और प्रखंड का चुनाव पदाध्किारी प्रखंड के किसी बूथ का स्वयं भौतिक परीक्षण करें मतदातओं से साक्षात्कार हो।
इससे चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने वाले कर्मचारी में गंभीर सकारात्मक संदेश जाएंगे और सही-सही मतदाता सूची बनेगी। मतदाता सूची में, नाम किसी का पफोटो किसी का नाम मंे शु(ता नहीं, पति के बदले पिता का नाम आदि अनेकानेक अशु(ि मिलती है, उम्र सही नहीं मिलता है। इसे भी साथ-साथ सुधरा जाना चाहिए। भारत सरकार वास्तव में चाहती है कि देश में सही मतदाता का नाम चुनाव में रहें और अवैध् मतदाताओं का नाम काटा जाए तो इस विभाग में यथोचित संख्या में पूर्णकालिक कर्मचारी नियुक्त करना चाहिए। योजनाब( तरीकों सेे कठोर परिश्रम से यह काम संभव है, इसमें ध्ैर्य की आवश्यकता है। एक पंचवर्षीय योजना का काम है।
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