सूढ़ी ;वैश्यद्ध अपने को अतिपिछड़ा वर्ग में शामिल कराने हेतु बापू सभागार को भर दिया। बिहार के विभिन्न जिलों के सदूर गांवों से महिला और पुरूष बड़ी संख्या में भीषण गर्मी में 8 जून को पटना पहूंचे। सूढ़ी ;वैश्यद्ध में सभी दलों के नेता हैं, दलीय सीमा तोड़कर सभी एकजूट होकर एक मंच पर पहूंचे और एक सुर में बात कही कि यदि वर्तमान सरकार सूढ़ी जाति को अतिपिछड़ा में शामिल नहीं करती है, अथवा ठोस आश्वासन नहीं देती है, तो चुनाव में अपना विरोध् दर्ज करने के लिए एनडीए के विरोध् में एकजूट होने की विवशता होगी। हमलोग ऐसा नहीं करना चाहते हैं, लेकिन हमारी मजबूरी को सरकार समझे। जब सवर्ण आयोग बना सकती है, जिसकी आबादी हमारी तुलना में कम है, वैश्य की आबादी का लगभग आध है, तो हमलोग को क्यों नहीं अति पिछड़ा का दर्जा दिया जा सकता है? सूढ़ी ;वैश्यद्ध में राजनैतिक सजगता है, लेकिन इसका आशय यह नहीं है कि हम सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से आगे हैं, हमारी आबादी का आध भाग लगभग मध्यमवर्गीय जीवन-जैसा जी पाता है। एक तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीने को विवश है। यदि जातिय गणना में सूढ़ी की गणना बनिया समूह में ना करके, अलग से की जाती, तो सूढ़ी जाति की न केवल वास्तविक संख्या की जानकारी मिलती, बल्कि हमारी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक हैसियत दर्पण की तरह सापफ-सापफ होता। सरकार के पास जाति गणना का पूरा ब्योरा है। हमलोगों के जानकारी में स्पष्टता नहीं है। स्थिति सापफ नहीं होने के कारण हमलोगों की अपनी पीड़ा-व्यथा बताने के लिए बापू सभागार भरने की मजबूरी बनी। यदि सरकार हमारी पीड़ा को समझने में सक्षम नहीं होती है, तो इसकी प्रतिक्रिया विधनसभा चुनाव में सापफ दिखेगी और आने वाले दिनों में हमसब को गांध्ी मैदान भरने की विवशता होगी, जनबल दिखाना हमारा शौक नहीं है, मजबूरी है, सरकार को इसे गंभीरतापूर्वक लेनी चाहिए।
लोकसभा चुनाव में वैश्य समाज का टिकट काटा गया। सूढ़ी जाति से एक भी प्रत्याशी नहीं दिया गया, ना ही राज्यसभा में एक सदस्य है। विधनपरिषद में भी भाजपा से एक भी सदस्य नहीं है, केवल जदयू से एक महिला सदस्य है। जबकि हमारा राजनैतिक इतिहास कापफी बुलंद रहा है। अब हमलोग राजनैतिक हासिए पर डाल दिये गये हैं। विधनसभा में भाजपा से एक और राजद से एकमात्रा सदस्य है। हमारी उपेक्षा दर्पण की तरह सापफ-सापफ दिखती है।
अखिल भारतीय सूढ़ी ;वैश्यद्ध संगठन के पदाध्किारियों ने दरभंगा में 23 मार्च को इसका गठन किया था। 23 मार्च से 8 जून लगभग ढ़ाई माह इस टीम के सभी पदाध्किारियों ने जी-जान लगाकर तन-मन-ध्न से परिश्रम करने इसे सपफल बनाये हैं, जो सभी बहुत-बहुत ध्न्यवाद के पात्रा हैं। विदित हो कि इस संगठन के बिहार के संयोजक वही डाॅ. वरूण कुमार हैं, जिन्हें 2019 में जदयू ने सीतामढ़ी से संसदीय सीट का प्रत्याशी घोषित किया था। इनके नेतृत्व में बापू सभागार का भरा जाना एक उपलब्ध् िहै। इसका राजनैतिक आशय भी निकाला जाएगा। आगे देखना दिलचस्प होगा कि इसका पफलापफल क्या होता है?
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