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सुप्रीमो के भरोसे प्रत्याशी, लेकिन बिहार के असली मुद्दों पर चर्चा कब होगी?

बिहार में आगामी विधनसभा चुनाव लड़ने वाले लगभग दलीय प्रत्याशी अपने उपलब्धिें के बिना केवल और केवल सुप्रीमों के भरोसे ही चुनाव ही लड़गें। भाजपा के तारणहार प्रधनमंत्राी नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्राी अमित शाह हैं, जदयू मुख्यमंत्राी नीतीश कुमार, लोजपा ;राम विलासद्ध के चिराग पासवान, हम के नेता जीतन राम माँझी, राजद के तेजस्वी यादव, जन सुराज के प्रशांत किशोर, कांग्रेस के राहूल गाँध्ी, वी आईपी के मुकेश सहनी और नये दल के नये आकाओं के सहारे।
भाजपा व जदयू के विधयकों को केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अपने क्षेत्रा में किये गये काम का ब्योरा की विस्तृत जानकारी नहीं है। जैसे उसके विधनसभा क्षेत्रा में 2020 ई. से 2025 ई. तक कितने छात्रा-छात्राओं को साइकिल मिली? कितनी मैट्रिक, इंटर और ग्रेजुएट पास करने वाले छात्रा -छात्राओं को छात्रावृति मिली? अनुसूचित जाति ,अति पिछड़ी, पिछड़ी जाति को )ण मिली? अन्यान्य सरकारी लाभ मिला? कितने महिला-पुरुष को सरकारी नौकरी मिली है? सत्ता से जुड़े विधयक इन आंकड़ों को प्रखंड स्तर पर सामने रखे तो सरकारी उपलब्ध्यिों की जानकारी लोगों को मिलेगी। लेकिन विधायक गण इसे पफजूल की बाते समझते हैं।
आम लोगों के लिए जाति-गणना की जानकरी प्रखंड स्तर तक नहीं दी गयी, जबकि सरकार ने 400 करोड़ रूपये खर्च किये. अभी तक घर-घर पेय जल की सुविध क्यों नहीं पहुँची? किस जिला से सबसे ज्यादा लोग सरकारी नौकरी में गये? क्यों और कैसे ? बिहार में सर्वाध्कि खर्च किस जिला पर किया गया? चुनाव सरकारी खर्च पर हो। प्रशासनिक संगठन में एक रूपता लायी जाए. 50 लाख की आबादी वाले मुजफ्रपफरपुर जिला में दो अनुमंडल और 30 लाख की आबादी वाला बेगुसराय जिला में पाँच अनुमंडल क्यों? शहरों के स्कूल में बच्चे के सापेक्ष  अध्कि शिक्षक और गाँवों के स्कूल में बच्चे के सापेक्ष कम शिक्षक क्यों?  कहने का आशय है कि सरकार और विपक्ष दोनों के पास कहने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन दोनों में से कोई भी इस तरह के तथ्यों को जनता के सामने नहीं लाएंगे।
चर्चा यह होगी, हिन्दु-मुसलमान, राम मंदिर, कुंभ। चर्चा होगी अगड़ी, पिछड़ी अति पिछड़ी, अनुसूचित जाति की। चुनाव में बिहार की चर्चा नहीं होगी?
बिहार के प्रत्येक विधनसभा के मानव व प्राकृतिक संसाध्न के बेहतर उपयोग कैसे किया जाए? इसकी चर्चा नहीं होगी।
गोल-गोल बात होगी, बिहार में गरीबी है, पलायन है, बेरोजगारी है, भ्रष्टाचार है। कहाँ है? कितना है? इस पर चर्चा नहीं होगी। इसके समाधन में स्थानीय संसाध्न कितना भूमिका निभा सकती है, इस पर चर्चा नहीं होगी।
चर्चा होगी, आज इस नेता ने यह कह दिया, आज उस नेता ने ऐसा कह दिया। नेता किसी को कुछ कह दिया तो पूरे जाति और वर्ग का अपमान हो गया। ये सब सनसनी खेज खबर बनेगी। तनाव कैसे बढ़े और उसे कैसे तुल दिया जाए? इस पर चर्चा होगी। सोशल इंजीनियरिंग का काट सोशल इंजीनिरिंग से कैसे निकाल जाए उसके आंकड़े कैसे निकाला जाए?, ये सब चर्चा होगी। सब कुछ होगा, न होगा तो बिहार।

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