विपक्ष की पार्टियां भाजपा को चुनौती नहीं दे सके इसलिए सीबीआई और ईडी विपक्ष के नेताओं पर छापा मार रही है, जेल भेज रही है। यह कथन विपक्षी नेताओं का है। आप के नेता और दिल्ली के शिक्षा मंत्राी मनीष सिसोदिया जेल में, लालू प्रसाद के पुत्रा तेजस्वी यादव के ठिकाना पर से अवैध् संपत्ति की बात कही जा रही है। तेजस्वी यादव के यहां छापेमारी की वजह जदयू और राजदऋ विरोध्ी गठबंध्न की सरकार है। नीतीश कुमार को पुनः भाजपा में वापसी कहानी की तैयारी है। इसी तरह जहां-जहां भाजपा विरोध्ी दलों की सरकारें है या भाजपा विरोध्ी मजबूत नेता है उसके विरु( सीबीआई और ईडी की कार्यवाही जारी है। विपक्ष कीे सरकारें भाजपा नेताओं पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं कर रही है, आखिर क्यांे? भाजपा के सभी नेता हरिश्चंद्र है? विपक्ष इन छापामारी और गिरफ्रतारी को संवेदनशील मुद्दा बनाकर सहानुभूति का मत लेकर भाजपा को शिकस्त देने की रणनीति पर गंभीर है। सत्ताधरी और विपक्ष के नेता करोड़ों-करोड़पति हैं, अर्थात् अमीर और अमीर के बीच की लड़ाई है और चुनाव मैदान बन गया है। गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार शस्त्रा बन गये।
जहां तक प्रश्न विपक्ष की भूमिका का है। भारत के महान संत कवि कबीर दास ने कहा है, ‘‘हम घर जाल्या आपणाँ लिया मुराड़ा हाथि। अब घर जालौं तास का जे चलै हमारे साथि।’’ भारतीय राजनीति में विपक्ष के नेता में सर्वाध्कि महत्वपूर्ण नाम डाॅ. राम मनोहर लोहिया का, जिन्होंने कबीरदास कथन को आत्मसात किया था। उस वक्त आज की तरह सूचना जुटाने का संसाध्न नहीं था। वे सरकारी आंकड़ों से सरकार को कटघरे में कैद कर देते थे। 1967 में पहली बार 9 प्रदेशों में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी। आज संसद और विधन मंडल में एक -से-बढ़कर एक डिग्री धरी हंै। एक-से-बढ़कर एक विभिन्न अपराधें से आरोपित माननीय सांसद और विधयक हैं। उसी तरह से एक-से-एक बढ़कर ध्नपशु हैं। लोहिया जी के कालखंड में ऐसे वैज्ञानिक संसाध्न और सुविध उपलब्ध् नहीं थी। सूचना का अध्किार नहीं था, जनहित याचिका डालने का प्रचलन नहीं था। इन अभावों के बावजूद संसद में कांग्रेसी सदस्यों के भरमार के बीच दो-चार साथियों की उपस्थिति में अपने आंकड़ों से शेर की तरह दहाड़ते थे, सड़क से लेकर संसद तक अपनी बात रखते थे। उन्हें जेल जाने से भय नहीं लगता था। कांग्रेस सरकार की ताकत नहीं थी कि 24 घंटा से ज्यादा जेल में रखे। एकमात्रा सूचना का साध्न आकाशवाणी थी और समाचार पत्रा। संवाददाता समाचार को दबा नहीं सकते थे। एक बार कांग्रेस ने एक गलत आदमी को संसदीय क्षेत्रा का प्रत्याशी बना दिया था, तत्कालीन प्रधनमंत्राी पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्थानीय जनसभा में इस गलती की मापफी मांगी और उस प्रत्याशी को चुनाव में हराने की अपील की थी। लोहिया अपनी सरकार को गिरा दिया था। आज तो
अपराध्यिों और ध्नपशुओं को खोज-खोज कर टिकट देती है। नेताओं का वर्ग जनता से सहानूभुति की आस रखती है। अमीरों और अमीरों के बीच की लड़ाई है। अपराध्यिों और अपराध्यिों के बीच का संघर्ष है। जनता तो घास पात है भैसे-भैसे की लड़ाई में घास पात का निनान तय है। आजादी के 75 वर्षों के अमृत काल का दौर है। गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार की चाकी में जनता पिसती आ रही है और आगे भी पिसती रहेगी। पिफलहाल अंध्ेरा- ही-अंध्ेरा है, सत्तापक्ष और विपक्ष से कोई उम्मीद नहीं है, देश की जनता को। भगवान भरोसे जी रहे हैं, भगवान भरोसे जिएंगे, बस जीवन की यही आस है।
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