महात्मा गाँधी और डाॅ. राम मनोहर लोेहिया के आदर्शों को आत्मसात करने वाली बिहार की नीतीश कुमार की सरकार ने महिलाओं को 50% आरक्षण देकर अभूतपूर्व कदम उठायी हैै, सामाजिक क्रांति में मील का पत्थर बना है। संविधन में प्रस्तावित समानता को सरजमीं पर उतारा है। इस कड़ी में एक कड़ी और जोड़ते हुए पिछड़ी जाति एनेक्शन - 1 अर्थात् ओबीसी को 20% का आरक्षण दिया है। आरक्षण व्यवस्था में महिलाओं को समान भागीदारी मिली है अर्थात् 20% ओबीसी आरक्षण में 10% महिला और 10% पुरूष को हिस्सेदारी है। यही स्थिति सभी जगह है।
बिहार में 127 जातियां ओबीसी में शामिल है, जिमसें वैश्य समाज के 19 जातियां शामिल है और अनुसूचित जाति में एक जाति शामिल है। नीतीश सरकार ने सामरी वैश्य, हलवाई वैश्य, सिन्दुरिया वैश्य / कथबनिया वैश्य / कैथल वैश्य, लहेड़ी वैश्य, तमोली / बरई वैश्य व तेली वैश्य को अतिपिछड़ा वर्ग में शामिल किया अर्थात् पहले से 13 वैश्य की जाति ओबीसी में शामिल थी। पान / स्वांसी / तांती को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया।
सम्पन्न हुए नगर-निकाय चुनाव का परिणाम वैश्य समाज को राजनैतिक बल प्रदान किया है। इससे राजनीतिक चेतना स्पष्ट रूप से उजागर हुई है, नगर निगम के कुल 17 सीटों पर चुनाव सम्पन्न हुआ। 17 मेें वैश्य समाज से 9 महिलाओं ने दलविहीन चुनाव में मेयर पद पर विजेता बनी अर्थात् सपफलता 53%+ रही। 17 उप मेयर में 5 पर वैश्य विजित रहा, जिसमें एक पुरूष है अर्थात् 30% सफलता हाथ लगी।
नगर परिषद के 70 सीट पर अध्यक्ष पद पर 17 वैश्य निर्वाचित हुए, जिसमें 3 पुरूष, 14 महिला है, अर्थात् लगभग 25% सफलता मिली। जबकि उपाध्यक्ष 14 बने हैं, इसमें 8 पुरूष और 6 महिला है, 20% सफलता मिली। नगर पंचायत के 137 सीट पर चुनाव हुआ, जिसमें 26 अध्यक्ष (19% लगभग) अैर 44 उपाध्यक्ष ; 33%+ सफलता हाथ लगी। आजादी के बाद यह सफलता पहली बार मिली है, जो अभूतपूर्व है।
वैश्य राजनीतिक चेतना का दीप 21 अक्टूबर 1961 को डाॅ. दुखन राम ने अपने सहयोगियों के साथ जलायी थी, जिसमें तेल डालने का काम शहीद बृज बिहारी प्रसाद ने किया था। वैश्य नामित अनेकानेक संगठन इसमें अपना यथासंभव योगदान दे रहे हैं।
वैश्यों के राजनीतिक जमीन पर नीतीश कुमार ने बीज डाला, जिसका प्रतिफल नगर निकाय चुनाव में सामने आया है। वैश्य नामित संगठन को भव्य रूप से मुख्यमंत्राी नीतीश कुमार को सम्मानित करना चाहिए। वैश्य समाज के हजारों-हजार लोगों की उपस्थिति में आभार प्रकट करना चाहिए और धन्यवद देना चाहिए। दलीय बंधन को तोड़कर नीतीश कुमार का अभिनंदन किया जाना चाहिए।
नीतीश कुमार ने वैश्य राजनीतिक चेतना को आगे बढ़ाने की दिशा में जो मार्ग प्रशस्त किया है, वह अभिनंदनीय और ऐतिहासिक है। महात्मा गाँधू और डाॅ. राम मनोहर लोहिया के सपने को साकार करने वाला है।
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