Advertisement

नगर निकाय चुनाव में वैश्य मतदाताओं के लिए चुनौती


    नगर का क्षेत्र, व्यापारिक क्षेत्र होता है और व्यापार में, अधिकांश लोग वैश्य समाज के भाग लेते या करते हैं, इसलिए नगरीय क्षेत्र वैश्य बाहुल्य होता है या माना जाता है। नगर-निकाय चुनाव में अधिकाधिक वैश्य का चुनाव में आना और निर्वाचित होना वैश्य के राजनैतिक जागरूकता को प्रदर्शित करेगा। नगर-निकाय चुनाव में वैश्य जितना ज्यादा सफल होगा, इसका लाभ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में मिलेगा, विभिन्न राजनैतिक दल से यथोचित उम्मीदवारी तभी पायी जा सकती है। नगर निकाय चुनाव राजनैतिक जागरूकता का पैमाना बनेगा।

           वैश्य समाज के लोग उदारवादी है और सर्वांगगीण विकास में आर्थिक रीढ़ बनते हैं। सामाजिक सरोकार के मामले में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। अधिकांश लोग राजनीति से अरूचि रखते हैं। बदलते राजनीतिक वातावरण के कारण राजनीति में भागीदारी लेने को विवश किये गये हैं। वैश्य समाज में राजनैतिक जागरूकता आयी है लेकिन जागरूकता में जो परिपक्वता होनी चाहिए, उसके लिए अग्नि परीक्षा से गुजरनी होगी। यह अग्नि परीक्षा वैश्य नेताओं के महत्वाकांक्षा के संघर्ष के कारण होनी है। चमकने के लिए तपना ही होगा। मेयर, उपमेयर व वार्ड पार्षद के चुनाव में वैश्य समाज को संगठित करने के लिए, एक करने के लिए जो वैश्य साथी एक साथ मिलकर प्रयास करते रहे हैं, वे साथी परस्पर प्रतिद्वन्दी के रूप में मैदान में डट गये हैं। महत्वाकांक्षा ने स्वार्थी बना डाला, वे त्याग करने को भूल गये हैं और यह राजनैतिक संकट के रूप में वैश्य समाज के सामने खड़ा हो गया है, परीक्षा बन गयी है। जिन्हें कभी वैश्य एकता या संगठन से सरोकार नहीं रहा वे भी मौके का फायदा लेने के लिए वैश्य होने का दंभ करते चुनाव मैदान में डट गये हैं और इस अग्नि परीक्षा के ताप को और अधिक बढ़ा दिया है।



           मूल चुनौती वैश्य मतदाताओं के सामने खड़ी हो गयी है। वैश्य प्रत्याशियों ने राजनैतिक जागरूकता का परिचय देकर हजारों-लाखों रूपया खर्च करने का मन बनाया है लेकिन वे राजनैतिक जागरूकता के परिपक्वता देने के मामले में पिछड़ गये हैं। यह एक अवसर है, वैश्य मतदाताओं के लिए, वैश्य मतदाताओं को यह चुनौती स्वीकार करनी चाहिए, वैश्य के नौनिहालों के लिए, वैश्यों के उज्जवल राजनीतिक भविष्य के लिए, उन्हें कठोर निर्णय लेने को तैयार होना चाहिए और नगर-निगम चुनाव में एक वैश्य प्रत्याशी के प्रति संगठित होकर मतदान करना चाहिए। यह चुनाव, बहुत कुछ संदेश देता है। उस संदेश को गंभीरतापूर्वक समझकर, अपनी समझदारी का परिचय देकर राजनैतिक दलों को अपना संदेश देना चाहिए। जबरदस्त चुनौती है, जिसे शानदार अवसर में बदलकर, एक नये इतिहास के सर्जन (सृजन) में आपका योगदान, सरहानीय और प्रशंसनीय होगा।



Post a Comment

0 Comments


जनोपयोगी महत्वपूर्ण पुस्तक