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वैश्यवाद स्थापित करने का शानदार अवसर


बिहार में जातिय व आर्थिक गणना होने जा रहा है. प्रशासनिक तैयारी अंतिम चरण में है. अक्टूबर से यह काम शुरू कर दी जाएगी. सरकारीकर्मी आपके घर दस्तक देंगे. आपसे अन्य तथ्यों के अलावा जाति का नाम पुछेंगे फिर उपजाति का नाम पुछेंगे. जाति के नाम में आपको वैश्य बताना है और उपजाति में जिस जाति से हैं वह बताना है.




यदि आपने जाति के नाम पुछने पर वैश्य न बोलकर अपनी जाति बताते हैं तो उपजाति पुछा जाएगा तो उसे आप बताएँगे. इससे हानि यह है कि वैश्य की वास्तविक संख्या से कम दिखेगी और राजनीतिक रूप से आप उपेक्षा के शिकार बन जाएगे.

वैश्य के 56 जाति में ताँती, कुम्हार, मालाकार, नोनिया, बढ़ई, लोहार, लहेरी आदि कुछ जातियाँ है जिसमें अधिकांश लोग अपने को वैश्य नहीं मानने हैं. आप ब्रह्मण नहीं हैं ,क्षत्रिय नहीं हैं, शूद्र नहीं हैं तो क्या हैं? यानि आप वैश्य हैं.

वैश्य संगठन इस मामले में गंभीर नहीं रहा है. और अब गम्भीर नहीं होता है तो वैश्य संगठन के माध्यम से राजनीतिक महत्वाकांक्षा पालने वाले को बहुत निराशा हाथ लगने वाली हैं उनके सारे सपने तिनके की तरह बिखड़ जाएँगे. उनका सपना साकार हो इस हेतु वैश्य के सभी जाति में जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें प्रेरित करे कि जाति के कॉलम में वैश्य लिखवाएँ और उपजाति में अपने जाति का नाम. 

वैश्य राजनीतिज्ञ को जाति व आर्थिक जनगणना पर दूर- दृष्टि रखकर विचार करना चाहिए और शीघ्रातिशीघ्र यथोचित कदम उठाना चाहिए। यदि सावधानी नहीं बरती गयी तो जाति के अंदर ही तूफान उठेगा और वैश्यवाद को बहुत क्षति पहुँचा सकती है।

लकड़ी का बोझा / बंडल बनना है या अकेले लकड़ी रहना है निर्णय आपके हाथ है।

वैश्यवाद को मजबूत करने का शानदार अवसर मिला है.  "मत चूको चौहान".

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