जब - जब विधनसभा चुनाव आता है, उस वर्ष विभिन्न जातियों के विधयक, दावेदार रैली के माध्यम से अपने टिकट को कन्पफर्म करते हैं और नये लोग दावेदारी मजबूत करते हैं। पूर्व में वैश्य जाति के नाम पर अध्किाध्कि टिकट लेने की होड़ मची रहती थी। 2023 ई. में जातिय गणना सार्वजनिक हो गयी। बिहार वैश्य-बनिया समाज के 54 जातियों में मात्रा 12 जाति ही अपने आबादी के दम पर विधनसभा में अपनी दावेदारी देने में सक्षम है। कानू और हलवाई संयुक्त रूप से, वैश्य बनिया जाति समूह में सर्वाध्कि आबादी वाली जाति है। 36, 87, 573 ;कानू - 28, 92, 761 और हलवाई 7, 94, 752द्धऋ 2.818» जाति की बात की जाए तो तेली सर्वाध्कि आबादी वाली जाति है - 36, 77, 491
;2.8131»द्ध। दोनों जातियां विधनसभा में 7-7 सीट पर हक रखती है। बनिया समूह
;2.315»द्ध, नौनिया ;1.91»द्ध, पान / स्वांसी / तांती ;1.70»द्ध, बढ़ई ;1.45»द्ध, कुम्हार
;1.40»द्ध, सोनारा ;0.69»द्ध, कमार/ लोहार / कर्मकार ;0.6281»द्ध चैपाल ;0.57»द्ध, बरई/चैरसिया ;0.47»द्धऋ कुल 42 सीट।
पफरवरी से रैली का दौर शुरू हुआ। तेली समाज ;राजदद्ध ने मिलर हाई सकूल, पटना में तो तेली समाज ;भाजपाद्ध कृष्ण मेमोरियल हाॅल, पटना में सपफल सभा कर अपनी दावेदारी को बल दिया। 13 अप्रैल पान / स्वांसी / तांती / तंतवा समाज ने आई.पी. गुप्ता के नेतृत्व में गांध्ी मैदान में शानदार उपस्थिति दिखाकर राजनेताओं के आंख की किच्ची सापफ कर दी। वर्तमान में पान / स्वांसी / तांती समाज से एक भी विधयक नहीं है। एक दिन पूर्व 11 अप्रैल को सरकार बदलने की दंभ भरने वाले जनसुराज प्रशांत किशोर के रैली की हवा निकल गयी थी। 20-30 हजार लोग ही जुटा सके, मानसिकता पर चोट लगाऋ प्रशासन और सरकार को आरोपित कर प्रशांत किशोर ने अपनी खींज बाहर की। पान-तांती रैली को मीडिया में जो स्थान मिलना चाहिए, नहीं मिला। 13 अप्रैल को ही कानू-हलवाई समाज ;भाजपाद्ध की रैली मिलर हाई स्कूल मैदान, पटना में की गयी। यह भी सपफल रैली रही। इसमें भाजपा नेताओं की भरमार थी।
8 जून को पटना में बापू सभागार में सूढ़ी ;शौण्डिकद्ध समाज की रैली है।
सपफल रैलियां आपको टिकट दिला देगी, लेकिन विधनसभा तक पहुंचने में पहला पायदान जाति और दूसरा पायदान वैश्य-बनिया जाति समूह ही बनेगा। वैश्य-बनिया जाति समूह में शामिल जाति अपने अकेले दम पर चुनाव नहीं जीत सकती है, इस समूह को अन्यान्य जाति का सहयोग परम आवश्यक है।
चुनावी रणनीति के इस दौर में जो भी जाति रैली या सम्मेलन करती है, जिस नेता को बुलाना है, बुलाएं साथ ही कम-से-कम उपरोक्त 12 जातियों के नेताओं को बुलाकर भाषण न दिलाएं, माला और चादर तो जरूर भेंट करें। ऐसा करने से टिकट कन्पफर्म होने के साथ-साथ विजय होने की संभावना को बल मिलेगा। जब आप उसे मंच और सम्मान देंगे तो बदले में आपको भी मंच और सम्मान मिलेगा। जाति एकता के साथ-साथ वैश्य एकता हो भी बल मिलेगा।
अलग-अलग डपफली और अलग राग का संदेश वैश्य बनिया जाति समूह के लिए अच्छा नहीं है। जातिय के आधर पर राजनीति करने वाले ओ इस रणनीति का ध्यान रखना चाहिए। पार्टी का टिकट मिलने पर आपको वैश्य समाज के बीच जाना है, अपने जाति को छोड़कर अन्य जाति के वैश्य-बनिया जाति समूह जब आपसे सवाल पूछेंगे कि अन्यान्य जाति के पार्टी के नेताओं को मंच मिला, तो इस मंच पर हमारे जाति को क्यों नहीं बुलाया? आप निरूत्तर हो जाएंगे।
भविष्य के चुनावी रणनीति के मद्देनजर जाति एकता के साथ ही वैश्य बनिया जाति समूह के एकता हो बल देना ही, तिनका-तिनका मिलेगा तो घोंसला बन जाएगा। तिनका बिखड़ेंगे तो क्या होगा, आप भली-भांति समझते हैं। मुंह केवल अपने स्वाद का ही ख्याल रखें तो शरीर स्वस्थ नहीं रह सकता है।
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