टाइम्स आॅपफ इंडिया के अनुसार इच्छित वर्ग तक पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या 5.8» है और छात्राओं की संख्या 6.4» तथा देश में आयकर देनेवालों का प्रतिशत 2.36 है। अर्थात् आयकर देनेवालों की प्रतिशत से दोगुना से अध्कि और तीगुणा से कम उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या है। हमारे देश में 80 करोड़ लोगों को महीना के 10 दिनों का अनाज सरकार मुफ्रत में उपलब्ध् कराती है जो कुल आबादी 57» है। जहां आबादी का 57» हिस्सा महीना भर के लिए 2 जून का भोजन नहीं जुटा पाती है, वे उच्च शिक्षा का सपना कैसे देख सकती है? हम गला पफाड़-पफाड़कर कहते हैं कि भारत विश्व गुरु बन जाएगा, जबकि हमारे देश में उच्च शिक्षा पूंजीनिवेश बन गया है। 50 करोड़ जनध्न खाता खुलवाया गया है जिसमें दो लाख 3000 करोड़ रुपए जमा है। नौ वर्ष में एक खाता पर औसत जमा राशि 4060 रुपया है 1 वर्ष में 580 रू. यानि 486.33 रू. प्रतिमाह। देश में 5 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो महीना में रूपये 50 तक ही अपना खाता में जमा कर सकते हैंऋ वैसे लोग अपने बच्चों के लिए उच्च शिक्षा का सपना कैसे देख सकते हैं? उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले पुरुष व स्त्राी की औसत संख्या 6.01» मात्रा है। वह देश विश्व गुरु बनने की बात करता है, इसे क्या कहा जाए
विश्व में 10 ऐसे देश हैं जो न केवल अपने देश के नागरिकों को बल्कि विश्व के किसी भी देश के नागरिक को उच्च शिक्षा मुफ्रत में देती है, ये देश हैं- जर्मनी, नाॅर्वे, स्वीडेन, आॅस्ट्रिया, पिफनलैंड, प्रफांस, चेक रिपब्लिक, ग्रीस, इटली और स्पेन नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक 4 वर्ष का 8 सेमेस्टर में होगा। पहले सेमेस्टर में नामांकन के लिए 2255 रुपए और अन्य सात सेमेस्टर में रूपये 2005 रु. की दर से। 14,035 रू.। 8 सेमेस्टर का परीक्षा शुल्क 600 रु. प्रति की दर से 4800 रु.। विश्वविद्यालय में पंजीयन का 600 रु. एकबार। कुल 21690 स्नातक करने वाले को एक वोकेशनल कोर्स करना है, काॅलेज प्रति सेमेस्टर 500रु. पफीस लेगी, 4000रु. यानि कुल 25,690 रुपया स्नातक करने में खर्च होगा।
सरकारी काॅलेज से एलएलबी के करने में शिक्षण शुल्क 1 से 2 लाख तो प्राइवेट काॅलेज से करने पर 3 से 6 लाख रुपए लगता है, साथ ही आवास भोजन और शिक्षण सामग्री का खर्च अतिरिक्त 3 वर्ष मंे औसत 15,000 रू0 महीना तो लगभग साढ़े पाँच लाख रुपया। सरकारी मेडिकल काॅलेज में पढ़ाई की पफीस ढ़ाई लाख से 5 लाख तक है। बीटेक का निजी काॅलेज का पफीस 3 लाख से 19 लाख और सरकारी काॅलेज का पफीस साढ़े पाॅंच लाख रुपया से 12.50 लाख रुपए तक। एमबीए करने का पफीस 20 लाख से 25 लाख तक। ठ.म्क करने का पफीस 50,000 रू0 से 1,00,000 रु. तक।
उच्च शिक्षा प्राप्त करने का आशय है शिक्षा में पूंजी निवेश करना। पूंजीनिवेश करने का सापफ-सापफ मतलब है, उससे अध्कि से अध्कि कमानाऋ अध्कि-से-अध्कि कमाने की प्रति स्पर्ध में नैतिकता किसी गली में छिप जाती है। इसलिए आंध्ी में पुल उड़ जाता है, आँध्ी में जल समाध् िलेकर खुद को ठंडा करता है। बिहार में अगहनी घाट सुल्तानगंज का निर्माणाध्ीन पुल।
भारत सरकार सैनिक के पेंशन मद से 1.58 लाख पए करोड़ रु. देती है, और इस सरकार का शिक्षा बजट 1.12 लाख करोड़ है। बिहार सरकार आंगनबाड़ी के बच्चे को बादाम खाने के लिए सालाना 216 करोड़ रुपए का बजट बनाई है।
भारत में प्रतिदिन 12 अरब लीटर पेट्रोल और 27 अरब लीटर डीजल की खपत है यदि भारत सरकार प्रति लीटर 25 पैसा शिक्षा अध्शिेष डीजल और पेट्रोल पर लगा दे तो एक दिन में 975 करोड़ रुपए की आमद होगी, सालाना 3, 55, 000 करोड़ से अध्कि भारत सरकार के शिक्षा के बजट में 3 गुणा से अध्कि है, भारत में उच्च शिक्षा व्यवस्था को पूंजीनिवेश के चंगूल से आजाद कराया जा सकता है और उच्च शिक्षा, आवास, भोजन आदि के साथ बिल्कुल निःशुल्क किया जा सकता है। वर्तमान व्यवस्था में, हमारे मुट्ठ्टी भर वैज्ञानिक ने बहुत कम लागत पर चंद्रयान 3 की सपफलता हासिल कर दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मना लिया है। यदि उच्च शिक्षा निःशुल्क होगी तो हमारे यहां वैज्ञानिकों की कापफी संख्या बढ़ेगी पिफर हम क्या कर सकते हंै, इसका अंदाज लगाना सहज नहीं होगा।
सरकार की वर्तमान शिक्षा की व्यवस्था का उद्देश्य मात्रा है- देश को निःरक्षता के कलंक से मुक्ति देेेकर साक्षर का मोहर लगाना। निजी काॅलेज और विश्वविद्यालय, नेताओं और पूंजीपतियों का है, उसे संरक्षण देना, उसका विकास करना है। देश में प्रतिभा पैदा हो, विकसित हो, इस दिशा में सरकार की सोच नग्नय है।
देश निर्माता वास्तव में भारत को विश्व गुरु बनाना चाहते हैं, तो यहां सभी प्रकार का शिक्षण- प्रशिक्षण निःशुल्क करें और आवास, भोजन के साथ आवश्यक संसाध्न उपलब्ध् कराएं प्रशिक्षण, व्यावसायिक हो, शैक्षणिक हो या खेल का हो, हमारे गरीब और आदिवासी बच्चों का पोषण और प्रशिक्षण निःशुल्क होगा तो लगभग सभी खेलों का मेडल भारत के नाम ही होगा।
बेरोजगारों को किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। बुलंद भारत की तस्वीर देखनी है तो शिक्षा के आकाश में उड़ान भरने के लिए गरीब लोगों को पंख प्रदान करें जिसकी आबादी देश में 57» है।
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