मुंगेर प्रमंडल में वैश्य की राजनीतिक अवस्था बहुत दयनीय है। राजनीतिक दलों के नजर में मुंगेर प्रमंडल के वैश्यों का कोई वजूद ही नहीं है। इसका प्रमाण है की दलीय आधर पर होने वाले लोकसभा चुनाव और विधनसभा चुनाव में किसी दल ने वैश्य को अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किया। अपवाद में खगडि़या लोकसभा का विधनसभा है परबत्ताऋ जहां से राजद में दिगंबर तिवारी ;चैरसिया समाजद्ध को अपना उम्मीदवार बनाया था, जो चुनाव हार गया।
मुंगेर प्रमंडल में 4 लोकसभा सीट है - मुंगेर, जमुई, खगडि़या और बेगूसराय। दो गंगा के इस पार और दो गंगा के उस पार। मुंगेर लोकसभा क्षेत्रा में 6 विधनसभा- मुंगेर, जमालपुर, सूर्यगढ़ा, लखीसराय, मोकामा और बाढ़। इसमें मुंगेर जिला का 2 क्षेत्रा मुंगेर और जमालपुर विधनसभा। लखीसराय जिला का 2 क्षेत्रा लखीसराय और सूर्यगढ़ा विधनसभा और पटना जिला का 2 क्षेत्रा मोकामा और बाढ़ है। अर्थात् मंुगेर संसदीय क्षेत्रा तीन जिला से संबंध्ति है।
जमुई संसदीय क्षेत्रा में मुंगेर जिला का तारापुर विधनसभा, शेखपुरा जिला का शेखपुरा विधनसभा तथा जमुई जिला का जमुई, झाझा, चकाई और सिकंदरा विधनसभा है। जमुई लोकसभा क्षेत्रा भी तीन जिला से जुड़ा हुआ है।
खगडि़या लोकसभा क्षेत्रा में भी छह विधनसभा खगडि़या जिला के खगडि़या, बेलदौर, परबत्ता और अलौली ;सुरक्षितद्ध विधनसभा। सहरसा जिला का सिमरी बख्तियारपुर, विधनसभा और समस्तीपुर का हसनपुर विधनसभा है। इसमें भी तीन जिला का क्षेत्रा है।
बेगूसराय लोकसभा में 7 विधनसभा है जो इसी जिला का है बेगूसराय, चेरिया बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघरा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बखरी ;सुरक्षितद्ध। इन चारों लोकसभा क्षेत्रा में कुल 25 विधनसभा है, जिसमें तीन सुरक्षित है।
2024 के चुनाव के मद्देनजर देश की विपक्ष की दलों ने 26 दलों का गठबंध्न बनाया है, जिसे इंडिया गठबंध्न का नाम दिया, तो भाजपा ने 38 दलों का गठबंध्न एनडीए में शामिल किया है। एनडीए में ऐसे-ऐसे दल हैं जिनका प्रभाव बहुत सीमित क्षेत्रों पर है, जिनका सीमित वोट बैंक है। उसकी तुलना में वैश्य वोट बैंक बहुत बड़ा है। भाजपा वैश्य को अपना वोट बैंक समझती है। यह सही भी है और यही कारण है कि भाजपा राजनीतिक रूप से वैश्यों को उपेक्षित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ता, जिसका एक उदाहरण मुंगेर प्रमंडल है। मुंगेर प्रमंडल के 25 विधनसभा में एक भी भाजपा का गठबंध्न में एक भी वैश्य को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया था। मुंगेर प्रमंडलीय वैश्य महापंचायत के सचिव होने के नाते मेरा मेरा सुझाव है कि
;1द्ध. मुंगेर, जमुई, खगडि़या और बेगूसराय के सभी विधनसभा क्षेत्रा से प्रमंडलीय वैश्य महापंचायत अपना प्रत्याशी दे।
;2द्ध. जमुई, खगडि़या और बेगूसराय के सुरक्षित क्षेत्रा सिकंदरा अलौली और बखरी से पांन/ताती/स्वांसी जाति से प्रत्याशी दे।
;3द्ध. विधानसभा से जिस जाति का प्रत्याशी दिया जाए, उस जाति का प्रत्याशी जिला परिषद्, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य का प्रत्याशी ना बनाया जाए।
;4द्ध. एक विधनसभा में दो-चार जिला परिषद क्षेत्रा और नगर निकाय क्षेत्रा होता है। जिला परिषद और नगर निकाय क्षेत्रा से जिस जाति को प्रत्याशी बनाया जाए उसे मुखिया, सरपंच और पंचायत समिति का प्रत्याशी नहीं बनाया जाए।
;5द्ध. विधनसभा में 22 जातियों को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इस सूत्रा को अपनाने से बिहार में रहने वाले वैश्य के सभी 54 जातियों का जन प्रतिनिध् िबनाया जा सकता है और इन सभी जातियों का मत एक सूत्रा में पिरोंकर विधनसभा सीट निकाल जा सकता है।
विधनसभा सीट निकालने का यह सूत्रा पूर्णतः कामगार नहीं है। इसके लिए स्थानीय जन समस्याओं को सूक्ष्मता से समझना और उजागर करना होगा और उसके समाधन का रास्ता दिखाना होगा। जनसंपर्क में बने रहने के लिए नियमित रूप से काम करना होगा ताकि वैश्य, वैश्य को मतदान करें ही, साथ ही अन्य जातियां इसके प्रति आकर्षित हो और इसके पक्ष में मतदान करें। इस व्यापक अभियान से न केवल हम विधनसभा में सपफल होंगे बल्कि दो तीन एमएलसी और एक राज्यसभा सदस्य भी बना सकते हैं।
उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत सूत्रा पर खगडि़या विधानसभा का एक खाका प्रस्तुत कर रहा हूं- खगडि़या विधनसभा से ‘क’ जाति का प्रत्याशी उम्मीदवार बनाया गया। इसमें 5 जिला परिषद क्षेत्रा है। इन पांच जिला परिषद से ख, ग, घ, ड़, च जाति का उम्मीदवार बनाया गया। दो नगर निकाय क्षेत्रा खगडि़या नगर परिषद और मानसी नगर पंचायत। खगडि़या नगर परिषद के अध्यक्ष के लिए ‘छ’ वैश्य जाति को और उपाध्यक्ष पद के लिए ‘ज’ वैश्य जाति का उम्मीदवार बनाया जाए। मानसी नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए ‘झ’ जाति को तथा उपाध्यक्ष के लिए ‘फ’ जाति को उम्मीदवार बनाया जाए। इससे 10 जाति शामिल हो जाती है। इन 10 जाति को छोड़कर वैश्य के अन्यान्य जाति को मुखिया, सरपंच, और पंचायत समिति सदस्य का उम्मीदवार बनाया जाए। ध्यान रखा जाए की एक पंचायत में अलग-अलग जाति का उम्मीदवार हो।
छाली आप खाएं दूसरों को छाछ भी नसीब ना हो, खखोरन भी हाथ ना लगे। वैश्य की बहुसंख्यक जातियां हर स्तर के जनप्रतिनिध् िचुनाव में भागीदार बन जाती है। यदि वैश्य के अल्पसंख्यक जातियों को जनप्रतिनिध् िमें भागीदारी सुनिश्चित हो जाए तो वैश्य एकता का अटूट बंध्न बन सकता है। पंचायत में एक घर वाले अल्पसंख्यक वैश्य जाति को उम्मीदवार बनाते हैं तो उसका संदेश शानदार होगा। अन्यान्य जाति का भी सहयोग मिलने की संभावना प्रबलतम होगी।
किसी भी स्तर को जनप्रतिनिध् िचुनने के लिए पहली योग्यता सामाजिकता होनी चाहिए। ध्न के आधर पर प्रत्याशी नहीं चुना जाना चाहिए।
एक पंचायत में 10-20 वार्ड होते हैं। इसमें पंच और वार्ड सदस्य के लिए प्रत्याशी का चयन करना है। ऐसे चयनित प्रत्याशी से हर एक से, एक-एक बैनर का सहयोग लेना है। ऐसा करने से हर पंचायत में 20-40 बैनर लगेगा, जिसमें 5-10 हजार रुपया लगेगा। खगडि़या विधनसभा में 18 पंचायत है अर्थात् 90 हजार से 1.8 लाख रुपए का खर्च इन सदस्यों के सहयोग से प्राप्त होगा या बचेगा। और मानसी में 7 पंचायत है इसमें 35-70 हजार तक बचत होगा अर्थात् सवा लाख से ढाई लाख रुपए का सहयोग से प्राप्त हो सकता है। मुखिया प्रत्याशी की जिम्मेदारी अपने पंचायत में बूथ मैनेजमेंट करना होगा। सरपंच और पंचायत समिति सदस्य 5-5 हजार पम्पलेट छपवाकर देंगे अर्थात् 3000 से 5000 का सहयोग। लगभग ढ़ाई लाख का सहयोग यहां से मिल सकेगा। जिला परिषद क्षेत्रा के प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्रा में चुनाव प्रचार के लिए एक-एक वाहन का खर्च वहन करेंगे। 6-7 दिन का प्रचार होगा। लगभग एक जिला परिषद प्रत्याशी का खर्च 25 से 30 हजार रुपए होगा। सवा लाख से डेढ़ लाख रुपए का खर्च यह लोग करेंगे। इसी तरह नगर निकाय क्षेत्रा में वाहन खर्च अध्यक्ष, उपाध्यक्ष प्रत्याशी करेगा और पर्चा व बूथ मैनेजमेंट वार्ड पार्षद करेंगे।
विधयक निर्वाचित होने पर जिस तरह का मदद जिससे लिया है उसे उसी प्रकार से, उसमें जोड़कर मदद करना होगा। समय रहते ऐसी योजना पर गंभीर चिंतन किया जाए और सघन जनसंपर्क अभियान चलाया जाए, तो 5 वर्षों में मंुगेर प्रमंडल वैश्यमय हो सकता है। राजनीति की दुनिया में धक जमाया जा सकता है, वैश्य के साथ-साथ अन्यान्य जातियों का कल्याण किया जा सकता है। मुंगेर प्रमंडल को रोजगार का हब बनाया जा सकता है। इसे भारत के नक्शे पर चमकाया जा सकता है, राजनीतिक दल से टिकट का भीख मांगना छोड़कर योजना पर गंभीरतापूर्वक प्रयास, एक नए इतिहास की रचना कर सकती है और बिहार में वैश्य मुख्यमंत्राी देने के सपने को साकार करने में एक गंभीर और मजबूत पहल हो सकती है।
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