नगर निगम अध्निियम 2007 के तहत मकान निर्माण के लिए विध्वित नक्शा पास करना जरूरी है, ऐसा नहीं करने पर नगर निगम मकान को ढ़ाह सकती है।
मंुगेर भूकंप जोन में आता है, इसलिए यहां मकान या भवन की ऊंचाई 15 मीटर निर्धरित है, लगभग 50 पफीट।
नगर निगम का राजस्व उगाही का एक प्रमुख स्रोत मकान का टैक्स भी है, जिसके वसूलने के लिए टैक्स दारोगा या जमादार है। सपफाई करने वाला कर्मचारी भी और प्रत्येक वार्ड में वार्ड भाषण या आयुक्त भी है। मकान कोई खिलौना नहीं है, जिसे झोली में भरकर लाया और खड़ा कर दिया। छू-मंतर मारकर 15 मीटर ऊंची इमारत नहीं बनाई जा सकती है। कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं करने का दोषी केवल भवन निर्माता ही नहीं है, बल्कि नगर निगम के उस वार्ड से संबंध्ति सभी कर्मचारी, पार्षद नगर आयुक्त और मेयर भी है। 4 किलोमीटर त्रिज्या के नगर भ्रमण करने के लिए नगर आयुक्त और मेयर को सुमो और बोलेरो गाड़ी सरकारी खर्च पर उपलब्ध् है। बहुत सारी मकानें मुख्य या अन्य सड़कों पर बने हैं जो दूर से देखा जा सकता है और गलियों में भी ऊंची इमारतें हैं।
सड़क पर बालू रखे, क्रंकीट रखें या अवशेष पदार्थ रखें नगर निगम से कर्मचारी पहुंच जाते हैं। आम लोगों को असुविध नहीं होती है, तत्पर्ता के लिए कर्मचारियों में कर्मचारी ध्न्यवाद के पात्रा हैं, लेकिन यह अवशेष पदार्थ कहां के है, क्या वे नहीं जानते? क्या वह भवन निर्माता को कानूनी पहलू से वाकिपफ नहीं कराते या पिफर जेब भर या जेब में आए माल का हिस्सेदारी ईमानदारी से हो जाता है। मकान में 10-20 लाख खर्च करने वाले के लिए 10-20-50000 रुपए खर्च करना सामान्य बात है, काम रूकने से ज्यादा हानि की आशंका होती है। जिस तरह से नगर निगम ने कानून के उल्लंघन करने वाले मकान मालिकों की सूची जारी की है, वह यह भी सूची जारी करें इस मकान के निर्माण के दौरान नगर आयुक्त, उपायुक्त, मेयर, उपमेयर वार्ड पार्षद कौन-कौन थे और उस वार्ड का जमादार और टैक्स दारोगा कौन-कौन रहा। क्या यह लोग अवैध् निर्माण रोकने की दिशा में कोई का कार्रवाई किय या नहीं किये थे। इनका पूरा-पूरा नाम भी प्रकाशित होना चाहिए, क्योंकि इस अवैध् काम में ये भी पूरी भागीदारी निभायी है। जिम्मेदारी निर्धरित होनी चाहिए, दोषियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि कोई ऐसी गलती करने का दुःस्साहस न करें, लेकिन कानूनी कार्रवाई नहीं होगी। मकान मालिकों में दहशत होगा, वे नजराना पहुंचा देंगे। पदाध्किारियों का तबादला हो जाएगा। बात आयी-गयी हो जाएगी। ऐसा ही होता आया है और ऐसा ही होगा। कहने का आशय है कि गलती करने का करो इंतजार कमाने के लिए खुले बाजार।
अवैध् निर्माण रोकने की यह पहल अवैध् निर्माण रोक नहीं पाता है, बल्कि अवैध् निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करता है। समाचार प्रकाशित हुई अवैध् निर्माण करन वाले पर दवाब पड़ा, मामला सलटा लिया गया या भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। मकान को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इससे उनके अगल-बगल के पड़ोसियों और आसपास के लोगों का अवैध् निर्माण करने में मन बढ़ गया। एक साथ अवैध् निर्माण नहीं हुए है, ना इनके निर्माण में कोई साजिश से रची गयी। वर्षों से समाचार पत्रा में खबर प्रकाशित होती रही है, मुंगेर भूकंप जोन में है और मुंगेर निगम नगर निगम क्षेत्रा में अध्किता मकान की ऊंचाई 15 मीटर है। लोग जाने-अनजाने में अवैध् निर्माण कराते गये। यदि एक भी उदाहरण मकान पर कार्रवाई की होती तो सर्वे में 200 मकान नहीं दिखते। ऐसे भी ध्नवाले लोगों के लिए कानून दासी ही दिखती है। वे कानून की परवाह नहीं करते हैं। चांदी के जूते खाने वाले लगभग सभी तैयार हैं।
काश! यहां योगी होता और कार्रवाई होती है तो एकाध्-दो पुस्त ऐसी गलती करने से बच सकते। वर्तमान नगर आयुक्त जो सलटा देंगे। अगला नगर आयुक्त यदि पफाइल उलटेगा उसमें रस दिखेगा तो पिफर वह पफाइल खुल जाएगा। अभी तक का अनुभव है कि इस प्रकार के मामले में कोई कार्रवाई देखने को नहीं मिली है।
डिजिटल का दौड़ चल चुका है। बहुत सारे काम मोबाइल से होने लगा है। मुंगेर नगर निगम कब डिजिटल के दौर में आएगा। कर दाताओं से लेने वाला भुगतान का डिजीटलीकरण किया जाना चाहिए ताकि लोग जिस तरह घर बैठे बिजली बिल भुगतान करते हैं, उसी तरह मकान का टैक्स घर बैठे भुगतान कर सके। मकान का नक्शा पास कराना है, इसके लिए और आॅनलाइन आवेदन लेने की प्रणाली बनाएं, पारदर्शिता को अपनाएं।
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि नगर निगम में कोई काम करवाने के लिए या शिकायत के निराकरण के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। नगर निगम वासियों को कम करवाने में चप्पल खिया जाता है अर्थात् विभिन्न कामों के लिए शिकायतों के लिए समय का निर्धरण हो और दूसरे आॅनलाइन व्यवस्था हो। दंडात्मक कारवाई करने से पहलमंुगेर नगर निगम को नागरिकों को पर्याप्त सुविध की व्यवस्था सुनिश्चित करें। ‘‘हम सुध्रेंगे युग सुध्रेगा’’, ऐसी नीति पर चले, इस अमल करें। केवल करोड़ों-करोड़ के अवैध् कमाई के लिए कानून का दुरुपयोग नहीं करें। इसमें निर्वाचित सदस्य की जिम्मेदारी अध्कि है। अपफसर आएंगे-जाएंगे लेकिन निर्वाचित प्रतिनिध् ियही रहेंगे। यदि वह निर्वाचित होना चाहते हैं तो उन्हें जवाब देना ही होगा, जवाब देने में उन्हें शर्मिंदगी का सामना नहीं करना परे, इसीलिए नगर निगम के कार्य प्रणाली और व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए यथोचित कदम उठाए, लूट में भागीदार बनने पर जनता उन्हें सजा दे सकती है। इसका ख्याल रखना जनप्रतिनिध्यिों के लिए आवश्यक समझना चाहिए।
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