आपको जानकर बेहद खुशी होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपना देश भारत को अमीर देश के श्रेणी में ला खड़ा किया है। भारत विश्व की 5वीं अर्थशक्ति बन चुकी है। अंतरिक्ष के मामले में विश्व का चौथा देश बन गया है और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन चुका है। सुरक्षा खर्च के मामले में अमेरिका और चीन के बाद तीसरा देश बन गया है। हमारा देश 16 हजार करोड़ का हथियार विश्व के विभिन्न देशों से बेचा है। हमें अपने देश के इस विकास पर गर्व है। इसके लिए मोदी सरकार के प्रति बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हैं, धन्यवाद देते हैं।
देश हमारा अमीर बना है लेकिन देश की जनता बहुत गरीब है। हमारा देश विश्व का सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गया है। इसकी आबादी 140 करोड़ हो चुकी है।
विपक्ष ने बीते लोकसभा सत्र में सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसका विरोध करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीयों के गरीबी का नंगा तस्वीर को रखते हुए गरीबों के हित में किए गए कार्यों को बताया जो इस प्रकार है-
(1). 3 करोड़ परिवार को आवास दिया गया जिससे 15 करोड़ लोग लाभान्वित हुए।
(2). 9.5 करोड़ परिवार को उज्ज्वला योजना के तहत 45.5 करोड़ लाभान्वित हुए। लोगों को गैस इंजन की सुविधा मिली।
(3). एक 11.42 करोड़ परिवार का शौचालय बनवाया गया जिससे 59 करोड़ लोग लाभान्वित हुए। शौचालय जन जीवन में शौचालय जीवन के लिए कितना आवश्यक है, सभी लोग जानते हैं।
(4). 12.67 करोड़ परिवार को जल-नल योजना का लाभ दिया गया। इसके 63-64 करोड़ लोग लाभान्वित हुए।
(5). 10 करोड़ परिवार को ₹5 लाख का स्वास्थ्य सुरक्षा आयुष्मान भारत के तहत दिया गया। इससे 50 करोड़ लोग लाभान्वित हुए।
(6). 80 करोड़ लोगों को महीना में 10 दिन का अनाज देती है। प्रत्येक व्यक्ति 5 किलो।
(7). जनधन खाता 50 करोड़ लोगों ने खुलवाया है जिसमें 2 लाख 3 हजार रुपए जमा है। यह राशि 9 वर्षों में जमा हुई है, खाता में औसतन राशि ₹4060। 1 वर्ष में औसत जमा ₹451 अर्थात ₹37.60 पैसा महीना यानी 1.25 रूपया प्रतिदिन।
अब सरकार से एक सवाल है कि सरकार की नई शिक्षा नीति में स्नातक (ग्रेजुएशन) 4 वर्ष का यानी 8 सेमेस्टर का हो गया है, जिसमें कुल खर्च ₹25690 का आता है। जो परिवार साल में चाहे ₹400 जमा कर पाता है वह यह राशि कैसे चुकाएगा? अर्थात गरीब लोग जिसकी संख्या 57% है उसके बच्चे स्नातक / ग्रेजुएशन होने का क्या सपना देख सकते हैं?
हाल ही में बिहार में उच्च माध्यमिक वर्गों के लिए बिहार सरकार ने डोमिसाइल नीति त्याग कर 57,602 पदों के लिए नियुक्ति निकाली जिसमें मात्र 39,680 अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरा और 30,909 लोग परीक्षा में शामिल हुए। मात्र 0.64% उच्च माध्यमिक शिक्षक परीक्षा में शामिल होने की योग्यता मास्टर डिग्री के साथ बीएड है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 5.8 + युवक उच्च शिक्षा लेते हैं, जबकि युवती की संख्या 6.4% है और औसत 6.1% होता है। उच्च शिक्षा में हमारी स्थिति काफी दयनीय है।
भारत में उच्च शिक्षा पाना गरीब लोगों के औकाद के बाहर है। यह सपना भी नहीं देख सकते हैं। नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक्स स्टडी के अनुसार शॉप आईआईटियन में 60% विदेश चले जाते हैं। 1-10 रैंकिंग में 9; 100 रैंकिंग में 62 और 1000 रैंकिंग तक में 360 छात्र विदेश जाते हैं। उच्च शिक्षा पाने के लिए।
आपको बताते चलें कि विश्व के 10 देश - जर्मनी, नॉर्वे, स्वीडन, आसस्ट्रिया, फिनलैंड, फ्रांस, चेक रिपब्लिक, ग्रीस, इटली, और स्पेन। ये देश केवल अपने देश के नागरिकों को बल्कि विश्व के किसी भी देश के नागरिकों को उच्च शिक्षा देने के लिए शिक्षण शुल्क नहीं लेती है, छात्रवृत्ति भी देती है।
मेधा और प्रतिभा गरीबों के पास भी होती है लेकिन संसाधन के अभाव में वे उच्च शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। सरकार गरीब की नंगी तस्वीर पेश कर चुकी है। इसलिए भारत सरकार और राज्य सरकार से करबद्ध निवेदन है। प्रार्थना है कि देश की सभी परीक्षा समिति और देश के सभी सरकारी विश्वविद्यालय में शिक्षा शुल्क समाप्त करें। उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए नि:शुल्क छात्रावास और भोजन की व्यवस्था करें। बेरोजगारों के लिए प्रतियोगिता परीक्षा के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाए। भारत का शिक्षा बजट ₹1,12,000 का है।
भारत में प्रतिदिन पेट्रोल की खपत वाला अलग मीटर है और डीजल की खपत 27 अरब मीटर है। यदि पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर 50 पैसा शिक्षा अधिकार लगा दिया जाए तो प्रतिदिन सरकार को 1950 अरब रुपया अर्थात 1950 सौ करोड़ रुपिया प्रतिदिन आमद होगी जो साल भर में 7 लाख 10 हजार करोड़ रुपया होगा। अर्थात शिक्षा का बजट सवा आठ लाख करोड़ रुपया हो जाएगा।
केंद्र सरकार मेडिकल, इंजीनियरिंग, एल. एल. बी, चार्टर्ड अकाउंटेंट, बीसीए, बीबीए, एमबीए, B.Ed, M.Ed जैसी सभी शिक्षा नि:शुल्क करें। व्यावसायिक शिक्षा प्रशिक्षण और खेल प्रशिक्षण नि:शुल्क करें।
साथियों अगले कुछ महीनों में देश में संसदीय चुनाव होने जा रहा है। सड़क से जनता की अदालत में मैंने बात रखी है। लोकतंत्र में जनता की अदालत सबसे बड़ी अदालत होती है। सरकार से यह आवाज संसद में गूंजे इसके लिए आप अपने जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछे, उम्मीदवारों से पूछे, राजनीतिक नेता और कार्यकर्ताओं से पूछे, देश अमीर बन चुका है, देश की जनता गरीब है। गरीब जनता उच्च शिक्षा कैसे ले सकती है?
देश में केवल निरक्षरता का कलंक मिटा कर साक्षर घोषित करने से देश और समाज का सर्वांगीण विकास नहीं होगा। देश के सर्वांगीण विकास के लिए देश के नागरिक उच्च शिक्षा प्राप्त करें; सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए।
चुनाव होने वाला है लेकिन देश के नेताओं का ध्यान गरीब के उच्च शिक्षा के प्रति बिल्कुल नहीं है।
लोहा गरम है, आपका ठंडा हथौड़ा काम करेगा। आम लोगों से कलबद्ध अपील है, विनती है, प्रार्थना है, निवेदन है, अपने बाल-बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए अपने जनप्रतिनिधि प्रत्याशियों, राजनेता और कार्यकर्ताओं से सीधा सीधा सवाल करें। आपके जागृति से निकट भविष्य में इस समस्या का समाधान संभव है।
आप सभी बंधुओं ने मेरे विचार का पढ़ा, इसके लिए सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं और धन्यवाद देता हूं। आप इसे अधिक-से-अधिक, लाइक करें। अधिक से-अधिक शेयर करें ताकि अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचे और सत्ता या विपक्ष कोई भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में इसे शामिल करें।
आम गरीब भारतीयों के लिए आपका सहयोग अतुलनीय होगा।
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