सम्पादक जी महाराज,
जय हो!
अब आप ये न पूछेंगे कि स्मार्ट और बीमार एक साथ कैसे है? सच्चाई यह है कि मेरा स्मार्ट फोन बीमार हो चुका है, चूूंकि आज का दौर है लिखो और फेको। यह औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा देने का मूलमंत्रा बन चुका है। उद्योग जगत जिंदा रहे पफलता-पफूलता रहे, इसलिए यह औद्योगिक नीति है। पहले जो भी यंत्रा बनता था उसके पाटर््स पूर्जे आसानी से उपलब्ध् होते थे, विशेषज्ञ यानि कारीगर आसानी से बदल देते थे, प्रत्यावर्तन कर देते थे, अब प्रत्यावर्तन शारीरिक अंगों में होने लगा है। यंत्रा से गायब हो गया है। यंत्रा में पाट्र्स पूर्जे बदलने में इतना खर्च बताया जाता है कि आप को बेहतर यही लगता है कि पूरा शरीर बदल दे। कचड़ों के ढ़ेर के अप्रत्याशित वृ(ि और प्रदुषण के बढ़ते कारणों में
एक है।
आज का दौर समस्या पैदा कर उन्नति करने का है, समस्या पैदा होगा, करने वाला विद्वान और उसका निवारण करने वाला महाविद्वान हो जाता है। उद्योग रोजगार देता है, और रोजगार बढ़ा रहा। बढ़ता रहे इसके लिए इससे अच्छा नियम कायदा-कानून क्या हो सकता है?
खैर छोडि़ए इन बातों को, स्र्माट पफोन बीमार होने से अंगुली से खिसकने में समय लेने लगा है और तब तक घंटी बजना बंद हो जाती है, स्वतः डिसकनैक्ट हो जाता है। काॅल बैक करने पर आप उठा लेते हैं पिफर अंगुली से खिसकना बंद कर देता है। ऐसा बराबर होने सेे लगता है कि आप को भाव देने में कमी कर रहे हैं, आपको नजरअंदाज कर रहे हैं। यह सोच आपको मेरे प्रति नाराजगी पैदा करने के लिए कापफी है। कृपाकर आप नाराज नहीं होंगे मेरे व्यावहारिक मजबूरी को समझने की कृपा करेंगे। मेरे नजर में आपका भाव यथावत बना है। आपको नजरअंदाज नहीं किया जा रहा हें टिप-टाप करने वाले साधरण पफोन से काॅन्टैक्ट किया जा रहा है। नंबर बदलना स्वाभाविक है। बदले नम्बर आपको कन्फ्रॅयूज कर देता है, कुछ तो उठाते नहीं है। कुछ उठाते हैं, तो ताना दे देते हैं, आप नंबर बदल लिया, सूचना नहीं दिया।
आजकल आपसी रिश्तों की डोर मोबाइल से ही बंध्ी है। इससे कभी भी, कहीं से दस्तक दिया जा सकता है। नींद खराब किया जा सकता है। घर के दरवाजे से काॅल बेल गायब है। यदि साथ में मोबाइल नहीं है, घर पहुंचने पर दस्तक देना मुश्किल है। मिलना नसीब नहीं होता है। मोबाइल पफोन इतना जरूरी बन गया है।
मोबाइल सुविध बहुत देता है, इससे इंकर नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसके द्वारा प्रदत असुविध के लिए अपने को ही मापफ किया जाना मुश्किल है। मोबाइल के पास रिश्ते की नाजूक कच्चा धगा है। स्र्माट पफोन के बीमार होने पर मेरी दिमागी परेशानी यानि टंेशन कितना बढ़ गया है, आप समझ सकते हैं और मापफ करने की कृपा भी कर सकते हैं। आपकी कृपा पाने के लिए झोली पफैलाए खड़ा हूं। झोली भर दिया जाना चाहिए। जय सियाराम।
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