वैश्य क्रांति अपने वैश्य संदेश के कार्यकाल से बड़ी ईमानदारी व निष्ठा से लगी रही है कि वैश्य का सत्ता हो..वैश्य राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रेल मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, राज्यपाल आदि-आदि बने हैं. यह सुनियोजित ढ़ंग से किसी व्यक्ति या संगठन के दम पर नहीं हुआ है बल्कि ईश्वर की इच्छा से हुआ है. वैश्य समाज के लोगों की ईमानदारी पूर्वक प्रार्थना से हुई है. क्योंकि वैश्य समाज के लीडरान सुनियोजित तरीकों से समाज को संगठित करने का कभी जतन नहीं किया बल्कि उसको टिकट कैसे मिले ? इसके लिए दिमाग दौड़ाया. खैर वे जो सोचे व किये.
वैश्य क्रांति सदैव अपने लक्ष्य के प्रति सजग रही है. अगस्त माह से ही बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में विभिन्न राजनीतिक दल वैश्य को टिकट दे उसके लिए कोशिश शुरू की. कुछ राजनीतिक दल वैश्य को अछूत मानती थी, बंधुआ मजदूर मानती थी. कमजोर वोटर यानि एग्रेसिव वोटर नहीं मानती थी. वैश्य क्रांति ने चुनाव आयोग के आँकड़ो की मदद से बताया वैश्य भाजपा का सबसे बड़ा वोटर है, लगभग 80 लाख. विभिन्न आलेख से वैश्य क्रांति ने राजनीतिक दल को वैश्य को प्रत्याशी बनाने को प्रेरित किया इसका सकारात्मक परिणाम भी निकला. सभी राजनीतिक दल ने कमोबेश वैश्य को प्रत्याशी बनाया जो इस प्रकार है भाजपा -16 जदयू -2 राजद -12, कांग्रेस- 2 सीपीआई एमएल- 2 रालोसपा- 2 लोजपा- 4 बसपा-3 वीआईपी- 1 जाप-1. जिसमें भाजपा से 15, जदयू से-1 राजद से 6, कॉग्रेस से 1 सीपीआईएमएल से 2 यानि कुल 25 वैश्य विधायक निर्वाचित हुए.और सबसे ज्यादा खुशी की बात है कि वैश्य ने अपने उपर लगा बंधुआ मजदूर बने रहने का कलंक मिटा दिया.
वैश्य क्रांति की समीक्षा कौन करेगा ?
हमने ईमानदारी पूर्वक प्रयास किया और ईश्वर ने उसका पुरा ध्यान रखा. विगत विधानसभा चुनाव की तुलना में वैश्य विधायक की संख्या में 50%से अधिक की वृद्धि हुई.
हम वैश्य मतदाता व राजनीतिक दल के प्रति अभारी हैं जो गंभीरतापूर्वक आलेख को समझा और नया इतिहास बनाया. ईश्वर को बहुत-बहुत धन्यवाद.
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